4. स्वच्छ भारत अभियान
- NIKHIL KUMAR
वसुधैव कुटुंबकम जिसका अर्थ है पूरी पृथ्वी एक परिवार है। ऐसे में अपने परिवार को बिमारियों से दूर रखने के लिए स्वच्छता एक आवश्यक कदम है। जो न की हमारे प्रति वफादार है अपितु हमारे प्रियजनों के लिए वरदान की भाँती है। ऐसे में मन में एक सवाल आता है की जब स्वच्छता ही आवश्यक चीज़ है तो हम इसके प्रति उतना सजग क्यों नहीं है ? ऐसे में हमें समझना होगा की हमें स्वच्छ भारत मिशन जैसे क्रन्तिकारी कदम की आवस्यकता क्यों पड़ी ?
आजादी के 67 वर्ष पूरे होने के बाद भी हमारे देश के ग्रामीण इलाकों में 10 करोड़ और शहरी क्षेत्रो में 1 करोड़ के आस पास की आबादी के पास शौचालय की उचित व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में स्वच्छ जीवन के आभाव में कई रोगो से ग्रसित हो जाते थे। साथ ही सरकारी आकड़ो के अनुसार 56 करोड़ आबादी (जनसंख्या के आधे) के आस पास लोग उचित व्यवस्था न होने के कारण खुले में शौच करते थे। यह अपने आप में स्वच्छ जीवन के लाभ से वंचित होते जा रहे थे और खुले में शौच करने से फैलने वाली बीमारिया जैसे हैजा, डेंगू आदि भयावह रोगो से अनजाने में खुद को ग्रसित कर रहे थे। साथ ही ये भी ध्यान देने योग्य बात है की शौचालय और इससे जुडी चीज़ो के आभाव में हर साल अपने जी.डी.पी. का कुछ हिस्सा गावं देते है।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की स्वच्छता जैसे आवश्यक गुणों के अभाव में भारत एक पिछड़ा देश सा प्रतीत होता था, वैश्विक स्तर पर एक दाग सा था। इन्ही सब आवश्यकताओं ने भारत को स्वच्छता के लिए एक क्रन्तिकारी कदम लेने को प्रेरित किया जिसकी उपज थी - स्वच्छ भारत मिशन। तत्काल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2024 को बापू के जन्मदिन के अवसर पर राजघाट से उद्घोषणा किया की "अगर हम भारत के लोग कम खर्च में मंगल जैसे दुर्लभ स्थानों पर पहुँच सकते हैं तो हम अपने सड़को और गलियों को साफ़ क्यों नहीं रख सकते है। बस यही से शुरू हुआ था हमारे अपने देश को वापस सुनहरा बनाने का काम जिसका जिक्र हमें हड़प्पा सभ्यता में मिलता है।
स्वच्छ भारत मिशन (SBM) की शुरुआत तो हुई परन्तु इस मिशन का कार्य सिर्फ शौचालय का निर्माण नहीं था अपितु लोगों के व्यवहार में स्वच्छता जैसे गुणों का प्रक्षेपण था। इसलिए SBM के उद्देश्यों को न सिर्फ परिभाषित किया गया अपितु इसके लिए जरूरी आवश्यकताओं चिन्हित करके उस पर कार्यवाही भी की गयी। साथ ही इसके क्रियान्वन की समाप्ति के लिए बापू की 150 वी जन्मदिन को निर्धारित किया गया यह मिशन एक समय सीमा में बेहतर परिणाम दिखा सके। SBM एक बहुद्देशीय परियोजना थी जिसके अंतर्गत यह सुनिश्चित करना था की भारत की उचित प्रगति के साथ उचित उद्देस्य भी स्थापित हो।
उद्देश्यों की बात करे तो पहला था समुदायों की उचित भागीदारी जिसके अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जा रहा था कि लाभार्थी न सिर्फ शौचालय का निर्माण करवाए बल्कि उसका उचित उपयोग भी करे और दूसरो से भी उचित प्रयोग करवाए। दूसरा था क्षमता का निर्धारण अर्थात SBM के उद्देश्यों को हर घर तक पहुँचाना जिसके लिए आवश्यक था की लोगों की खुले में सोच के व्यवहार को बदला जाए जिसके लिए जरूरी था की मिशन को एक समय सीमा को और एक प्रभावी परिणाम मिल सके। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु राज्य स्तर पर स्कूलों, कॉलेजों तथा आंगनबाड़ी का सहयोग लिया गया, जिसके लिए नुक्कड़ से शहर तक गली से मुहल्लों तक जागरूकता अभियान चलाया गया और साथ ही इन कृत्यों के माध्यम से लोगो को कचड़े के प्रबंधन का भी शिक्षा दी गयी। साथ ही हमें SBM के उद्देश्यों में प्रौद्योगिकी के प्रयोगो को नहीं भूलना चाहिए जिसने इस कार्य में उचित प्रबंधन आवश्यक भूमिका निभाई। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगो ने सरकार का ध्यान उस ओर आकर्षित किया जिन क्षेत्रों में SBM की आवस्यकता अधिक थी। इस मिशन के तहत सरकार ने हर लाभार्थी को 12000 की आर्थिक सहायता मुहैया कराइ जो की ये बतलाने में काफी है कि सरकार इस योजना के क्रियान्वन को लेकर कितना सचेत थी। एक सरकारी आंकड़े के अनुसार अब तक इस मिशन में 5131.3 करोड़ रूपए आवंटित हो चुके है जिसका प्रभावी क्रियान्वन स्वच्छ सड़के और गलियों को देखकर लगाया जा सकता है। एक आकड़े के मुताबिक SBM के तहत कई राज्य OSF (खुले में शौच से मुक्त) हो गए है वह पर इसका प्रभाव बच्चों के बेहतर स्वस्थ्य और गुणवत्ता में आया है। WHO के आकड़ो के अनुसार 2017 से पहले 15 लाख लोगों की मृत्यु सिर्फ स्वच्छता सम्बन्धी सुविधा के आभाव के कारन होता था। जिसमे 39000 के आस पास 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे होते थे। परन्तु अब यह संख्या 50000 के पास 2017-18 में आ गया है। इसका प्रभाव महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य तथा जीवन स्तर पर भी देखा जा सकता है। अब हमें इसको और आगे बढ़ाते हुए सिर्फ अपना घर नहीं अपितु सामाजिक स्थानों को स्वच्छ रखने का दायित्वा हमारा है। तथा पेयजल की स्वछता का ध्यान प्लास्टिक कचड़े से छुटकारा, कचड़े का सही प्रबंधन, वायु प्रदुषण को कम करना।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगो को जीवन प्रत्याशा में भी काफी सुधार देखने को मिला है। ऐसे में हम SDG के गोल 6 को 2030 तक आसानी से पा सकते है।
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